मित्रता
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एक रिश्ता है ऐसा
बिल्कुल अनोखा हो जैसा,
स्वार्थ से अछूता,
समन्दर से गहरा हैं वो |
जाति पाँति के बन्धनों से परे
धर्मों के आडम्बरों से दूर है जो
कहते हैं जिसे हम मित्रता,
क्या विश्वास है और कितनी
भरी है इसमें मधुरता |
सुख मे भले ना
वो दिखलाये,
पर दुःख में हमेशा,
दोस्त काम आये |
औपचारिकता से
परे है जो,
दिल के कितने
करीब है वो |
कह ना सके जो
बात किसी से,
दोस्तों से कह जाते हैं
कितनी सहजता से उसे|
भरोसे का अटूट
आधार है जो,
मुसीबतों में खडा
चट्टान है वो |
जिसकी देतें हैं
लोग मिसालें,
दोस्ती और दोस्त ही हैं
'अमित' मेरे यार,
जो हमारे जीवन रुपी नाटक में
अदा करते हैं,
एक महत्वपूर्ण किरदार
वो भी दोस्तों!
एक नहीं अनेकों बार ||
अमित कुमार सिंह
Friday, February 16, 2007
Monday, February 12, 2007
वेलेन्टाइन डे
वेलेन्टाइन डे
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चौदह फरवरी क्या आया
प्यार के फूल खिल गये,
मचलने लगे युवाओं के दिल
और पुष्पों का आदान प्रदान
होने लगा |
पुष्पों के रंग
व्यक्त करने लगे
भावनाओं को
शब्द हो गयें हैं मौन|
दिल की कोमल संवेदना
फूलों की पंखुडियों मे समा गयीं,
और बिन ध्वनि
सब कुछ कह गयीं |
बहने लगी चहुं ओर
प्रेम की मादक पवन,
होने लगा दिलों मे
मधुर मधुर स्पन्दन |
स्वीकार कर प्रेम का
ये नाजुक बन्धन,
करने लगे लोग 'वेलेन्टाइन डे' का
जोर शोर से अभिनन्दन ||
अमित कुमार सिंह
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चौदह फरवरी क्या आया
प्यार के फूल खिल गये,
मचलने लगे युवाओं के दिल
और पुष्पों का आदान प्रदान
होने लगा |
पुष्पों के रंग
व्यक्त करने लगे
भावनाओं को
शब्द हो गयें हैं मौन|
दिल की कोमल संवेदना
फूलों की पंखुडियों मे समा गयीं,
और बिन ध्वनि
सब कुछ कह गयीं |
बहने लगी चहुं ओर
प्रेम की मादक पवन,
होने लगा दिलों मे
मधुर मधुर स्पन्दन |
स्वीकार कर प्रेम का
ये नाजुक बन्धन,
करने लगे लोग 'वेलेन्टाइन डे' का
जोर शोर से अभिनन्दन ||
अमित कुमार सिंह
Monday, February 05, 2007
जिन्दगी ऐसे जियो
जिन्दगी ऐसे जियो
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चंचल,लहराती हुयी
हवा की तरह स्वच्छन्द
बच्चों की तरह मासूम,
कोयल सी गुनगुनाती
दिल को छू जाने वाली,
हॅसती खिलखिलाती
सदा मुस्कुराती,
जिन्दादिल, दोस्तों की दोस्त
कहते हैं जिसे हम 'जिन्दगी',
मित्र जियो तो बस
जिन्दगी की तरह खुल के जियो,
गम के सायों को परे कर
हॅसते खिलखिलाते हुये जियो
किरन सिंह
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चंचल,लहराती हुयी
हवा की तरह स्वच्छन्द
बच्चों की तरह मासूम,
कोयल सी गुनगुनाती
दिल को छू जाने वाली,
हॅसती खिलखिलाती
सदा मुस्कुराती,
जिन्दादिल, दोस्तों की दोस्त
कहते हैं जिसे हम 'जिन्दगी',
मित्र जियो तो बस
जिन्दगी की तरह खुल के जियो,
गम के सायों को परे कर
हॅसते खिलखिलाते हुये जियो
किरन सिंह
लाईफ्
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