ओम पैसाय नमः
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चहुँ ओर गूँज रही है
एक ही आवाज,
जीवन का बन गया है
ये एक अभिन्न यन्त्र
"ओम पैसाय नमः"
जपते रहने का है ये मंत्र
हो रहा है हर तरफ,
इसका ही जाप
कह-कह कर
"ओम पैसाय नमः"
धुल रहे हैं लोग
अपने पाप
मन्त्र है ये पुराना,
पर कलयुग में
अपने महत्व को
इसने है पहचाना
क्या रंग है क्या है रूप
खिली है देखो चारो ओर ,
"ओम पैसाय नमः"की
सुन्दर धूप
मुर्दे में भी जान फूंक दे,
आलसी में भर दे तरंग
"ओम पैसाय नमः"का
क्या सुंदर है ये रंग
महिमा इसकी अपरम्पार है
साधु-सन्यासियों पर भी
फेंका इसने अपना जाल है
बिन मेवा न होगी अब
कोई "अमित" सेवा,
दोस्तों "ओम पैसाय नमः"
का ये आया काल है
जिसने खोजा ये मंत्र
था वो भी बड़ा कोई संत ,
रमा कर "ओम पैसाय नमः"की धूनी,
दुनिया उसने खूब घूमी
लिख-लिख कर
"ओम पैसाय नमः" की महिमा
मै भी इसके भंवर में डूब गया हूँ,
और अपने मन की शान्ती को
यारों! यहाँ - वहाँ फिर से ढूढ़ रहा हूँ
अमित कुमार सिंह
एम्स्टरडैम, नीदरलैंड