Friday, March 30, 2007

ट्रैफिक जाम

ट्रैफिक जाम
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रोज सुबह हो
या शाम चौराहों पे
दिखाई देता है
ट्रैफिक जाम

किसी को हँसाती तो
किसी को रुलाती है,
जो खाली हैं उनका
समय व्यतीत कराती है,
काम पे जाने वाला लेता है
तब ईश्वर का नाम,
देख लेता है जब वो
ट्रैफिक जाम

कोई है सुट-बूट में
तो कोई है फटेहाल,
कोई है पैदल
तो कोई है गाडी में सवार,
बस में खडा है
मध्यवर्गी ,
कैसा है इस ट्रैफिक का
बुरा हाल

फैले हुये है दो हॉथ
अन्तर बस इतना है,
एक कि आँखो में दीनता
तो दूजा गौरव से
भरपूर है,
क्या ट्रैफिक जाम
यहीं से शुरु है

दोनों के गालों पे है
पानीं की कुछ बूँदे,
एक सुखा रहा है
चला कर ए सी,
तो मिटा रहा है इसे
कोई खा कर रुखी सूखी,
अरे भाई आखिर कब
खत्म होगा ये
ट्रैफिक जाम

एक और द्रश्य
दिखायी पड रहा है,
लगता तो कोई
मज़नू का भाई है
और लैला,
ओफ! इस ट्रैफिक
जाम को क्या अभी
खत्म होना था ?
वो हॅसीन शंमा अब
पीछे छूट गया था

-अमित कुमार सिंह

1 comment:

Anonymous said...

ट्राफिक पर अच्छी कवीता लिखी आने। यहां ट्राफिक जाम हमारे लिए आम बात है, रोज़ाना ट्राफिक मे चालीस पचास मिनट फंसे रहते हैं - और पिछले दिन दुबई मे हमारे रास्ते मे SHAKIRA का Live स्टेज शो था तो तकरीबन एक घंटे से ज़्यादा फंसे रहे।