Saturday, March 03, 2007

होली है

रंगीन है शमां
रंगीन है मौसम
जिधर देखो
रंग बिरंगा है माहौल,
चारो ओर मादकता
सी है छायी
अरे- क्या होली है आयी ?

चचंल,इठला रही
अपना सतरंगी
दुपट्टा लहरा रही,
होली,हमे हुडदंग के लिये
बुला रही |


मस्ती की इस बयार में
चेहरे तो हो गये हैं
मलिन और रंगीन,
पर अन्तर्मन हो गये हैं
कितने सुन्दर और हसीन|

बाँह पसारे कर रहे हैं
लोग परस्पर आलिंगन,

मिट गये हैं बैर भाव
मिट गयी है दूरियाँ,

बज रहे हैं मगंल गीत
बजने लगी है संगीत की
मधुर स्वर लहरियाँ |

देख इस प्रेम मिलन को
नेत्र हो गये सजल,
सोचने लगा ये
बावरा 'अमित' दिल
काश!रोज होती होली,
तो खुशियों से खाली
न होती किसी की भी झोली ||


अमित कुमार सिंह

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