इस्त्री और सौन्दर्य
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एक दिन मैं और
श्रीमती जी ब्यूटी पार्लर गये,
देख वहा इस्त्री मशीन
जगा मन मे कौतुहल,
पूछ बैठा सौन्दर्यबाला से-
क्या आप के यहा
इस्त्री भी होती है?
सुन ये सवाल वो
मुझे घूरने लगी
और सौन्दर्य के
मेरे अल्प ज्ञान पर
मुस्कराने लगी !
क्षण भर बाद वो बोली-
लगता है आप सौन्दर्य
की विधाओं से अंजान हैं
मेरे यहाँ पहली बार
बने मेहमान हैं !
मेरी इस बेवकूफी भरी
हरकत पर श्रीमती जी
उबलने लगीं,
और अपनी बडी-बडी आखोँ
से मुझे डराने लगीं !
पढ उनकी आखोँ का
ये सदेंश मुझे
अपना हश्र नजर
आने लगा और
अब बेलन वाले प्रसाद का
भय मुझे सताने लगा !
कुछ समय बाद
देखता हूँ कि-
इस्त्री गर्म हो
श्रीमती जी के बालों
पर चलने लगी है
और अपनी तपन से
उसे सीधा करने लगी है !
आधुनिक युग के
इस अदभुत दृश्य को
देखकर मेरी आँखें
खुली की खुली रह
गयीं और सौन्दर्य के
इस भौगोलीकरण पर,
उपकरणों के इस अनूठे
उपयोग पर,
मेरी 'अमित' लेखनी
स्तब्ध रह गयी !!
अमित कुमार सिंह
1 comment:
स्तब्ध लेखनी के उदगार बढ़िया रहे. :)
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