कौन महान
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एक दिन मैं देर रात को
ऑफ़िस से आ रहा था
या यों कहिए
घर की ओर जा रहा था
थका-हारा बेहाल
और परेशान
तभी मैं हो गया हैरान
क्योंकि सामने से आ रहे थे
श्रीमान, ज्ञान से अंजान
गधे जी महान
मुझे देखकर वो
थोड़ा मुसकाए,शरमाए
और फिर थोड़े से आश्चर्य के
साथ उन्होंने ये वचन सुनाए,
तुम कैसे हो इंसान?
रात में भी करते हो काम?
मैं बोला श्रीमान
आप हैं मुझसे अंजान
करता हूं मैं काम महान
लोग देते हैं मुझे
आदर और सम्मान
बंदा है एक कंप्यूटर इंजीनियर
'अमित' है मेरा नाम।
यह सुनकर गधे जी महाराज
हो गए थोड़ा चुप
मैंने सोचा मेरे प्रभाव से
ये गए हैं झुक
पर मेरी नासमझी पर
वो थोड़ा मुसकाए
और मुस्कराते हुए बोले
मेरा बोझा भी तू ही ले ले
और मुझे जाने दे
मैंने पूछा -
आपने कहा क्यों ऐसा?
क्या मैं लगता हूं आप जैसा?
इस पर वो बोले
सुना है दुनिया में आ गया है
कोई हमसे भी श्रेष्ठ
जिसे नहीं चाहिए कोई रेस्ट
करता है जो दिन-रात काम-काम
और सिर्फ काम
बोझा ढोने को भी
है वो तैयार
दुनिया जिस पर
करती है एतबार
जानना चाहते हो वो कौन है?
मेरे सरकार!
ये वो हैं जिनकी वजह से
हम गधों की जमात में
फैला है बेरोज़गारी का डर
नौकरी कब चली जाए
इसकी लगी रहती है फ़िक्र
सच ही है भगवन!
तेरी लीला अपरंपार
सदियों से सताए हुए
हम गधों पर तेरा है ये उपकार
करते हैं हम अपनी बिरादरी की
इस नई नस्ल को झुक कर नमस्कार
इसने दिया हमें ये ज्ञान
ये अभिमान
कि, कोई तो है
जिसे देखकर हम भी
कह सकते हैं देखो कितना
गधे की तरह करता है काम
ये और कोई नहीं हो सकता
ये है वो इंसान
दुनिया जिसे कहती है-
कंप्यूटर इंजीनियर महान।
यह सुनकर मैं भूल गया
अपनी सारी अकड़ और शान
और किया गधे जी
महाराज को प्रणाम।
चल पड़ा घर की ओर
विचारों में डूबा हुआ
किसने दिया किसे ज्ञान?
मैं? या वह गधा?
दोनों में से
कौन है महान?
अमित कुमार सिंह
3 comments:
रचना पढ़ने के बाद तो लगता है गधा ही महान कहलाया. :)
-अच्छी रचना है. बधाई.
Every corporate ex. has the same story. Your poem underlines the fact--all that glitters is not gold. congrats.
चल पड़ा घर की ओर
विचारों में डूबा हुआ
किसने दिया किसे ज्ञान?
मैं? या वह गधा?
दोनों में से
कौन है महान?
क्यों नहीं हो सकते तीनों महान?
गधा,मैं और मुझसे काम लेने वाले।
घुघूती बासूती
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