Monday, December 11, 2006
रॊज हमॆशा खुश रहॊ
रॊज हमॆशा खुश रहॊ
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जिन्दगी मॆ है कितनॆ पल
जीवन रहॆ या न रहॆ कल
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
बन्द कर दॆखना भविष्यफल
छॊड चिन्ता कल की
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
हर पल है मूल्यवान
है तू भाग्यवान
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
दिल कि धक धक
दॆती है तुम्हॆ यॆ हक
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
हर घडी मॆ है मस्ती
दॆखॊ है यॆ कितनी सस्ती
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
कम कर अपनी व्यस्तता
जीनॆ का निकालॊ सही रस्ता
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
पल पल मॆ जीना सीखॊ
चॆहरॆ पर लाकर मुस्कान
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
काम नही हॊगा कभी खत्म
उसमॆ सॆ ही निकालॊ वक्त
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
दुश्मनी मॆ न करॊ समय बरबाद
दॊस्तॊ सॆ कर लॊ अपनी दुनिया आबाद
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
कर गरीबॊ का भला
पाऒ मन का सकून
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
ख्वाबॊ सॆ बाहर निकल
रंग बिरंगी दुनिया दॆखॊ
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
कम कर अपनी चाहत
बन कर दूसरॊ का सहारा
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
बांट कर दुख दर्द सबका
भुला कर अपना पराया
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
जीवन कॊ ना तौल पैसॊ सॆ
यॆ तॊ है अनमॊल
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
सुख और दुख कॊ पहचान
है यॆ जीवन का रस
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
ईश्वर नॆ बनाया सबकॊ ऎक है
तू भी बनकर नॆक
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
अपनॆ साथ दूसरॊ कॆ आँसू पॊछ
पीकर गम पराया
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
खुश रहकर बांटॊ खुशियां
मुस्कुरातॆ हुऎ बिखॆरॊ फूलॊं की कलियां
रॊज हमॆशा खुश रहॊ |
बांध लॆ तू यॆ गाँठ
समझ लॆ मॆरी बात
पढ कर मॆरी कविता बार बार
रॊज हमॆशा खुश रहॊ
रॊज हमॆशा खुश रहॊ ||
अमित कुमार सिह
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