Thursday, December 28, 2006

भूत


भूत
-------

कल्पना नही
हकिकत हूँ,
काया नहि
एक साया हूँ मै,

इंसानों ने किया
मुझे बदनाम,
दे दिया है
'भूत' मेरा नाम |


करता हूँ कितना
मै काम,
निकल जाता हूँ
होते हि शाम |

कहते हैं भूत को
होते हैं ये बुरे,
पर हिंसा,अत्याचार,
बेईमानी और भ्रष्टाचार
ये किसने हैं करे?

इंसानों ने अब
करना शुरु कर दिया
हम पर भी अत्याचार,
डराने का खुद ही करके
करने लगे हैं हमारे
पेटों पर वार |

डरता हूँ अब इंसानो से
लेता हूँ अपना दिल थाम,
कहीं ये कर ना दें
मेरा भी काम तमाम |

हम भूत ही सही
पर हमारा भी है
एक ईमान,
डराने के अपने काम पर
देते हैं हम पूरा ध्यान |

हम ही हैं जो
कराते हैं लोगों को
इस कलियुग मे भी
ईश्वर का ध्यान,
क्या नहीं कर रहे
हम कार्य
एक महान ? ||

अमित कुमार सिंह

No comments: