Monday, April 02, 2007

यमराज का इस्तीफा

यमराज का इस्तीफा
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एक दिन
यमदेव ने दे दिया
अपना इस्तीफा।

मच गया हाहाकार
बिगड़ गया सब
संतुलन,
करने के लिए
स्थिति का आकलन,
इन्द्र देव ने देवताओं
की आपात सभा
बुलाई
और फिर यमराज
को कॉल लगाई।

'डायल किया गया
नंबर कृपया जाँच लें'
कि आवाज तब सुनाई।

नये-नये ऑफ़र
देखकर नम्बर बदलने की
यमराज की इस आदत पर
इन्द्रदेव को खुन्दक आई,
पर मामले की नाजुकता

को देखकर,
मन की बात उन्होने
मन में ही दबाई।

किसी तरह यमराज
का नया नंबर मिला,
फिर से फोन
लगाया गया तो
'तुझसे है मेरा नाता
पुराना कोई' का
मोबाईल ने
कॉलर टयून सुनाया।

सुन-सुन कर ये
सब बोर हो गये
ऐसा लगा शायद
यमराज जी सो गये।

तहकीकात करने पर
पता लगा,
यमदेव पृथ्वीलोक
में रोमिंग पे हैं,
शायद इसलिए,
नहीं दे रहे हैं
हमारी कॉल पे ध्यान,
क्योंकि बिल भरने
में निकल जाती है
उनकी भी जान।

अन्त में किसी
तरह यमराज
हुये इन्द्र के दरबार
में पेश,
इन्द्रदेव ने तब
पूछा-यम
क्या है ये
इस्तीफे का केस?

यमराज जी तब
मुँह खोले
और बोले-
हे इंद्रदेव!

'मल्टीप्लैक्स' में
जब भी जाता हूँ,
'भैंसे' की पार्किंग
न होने की वजह से
बिन फिल्म देखे,
ही लौट के आता हूँ।

'बरिस्ता' और 'मैकडोन्लड
'वाले तो देखते ही देखते
इज्जत उतार
देते हैं और
सबके सामने ही
ढ़ाबे में जाकर
खाने-की सलाह
दे देते हैं।

मौत के अपने
काम पर जब
पृथ्वीलोक जाता हूँ
'भैंसे' पर मुझे
देखकर पृथ्वीवासी
भी हँसते हैं
और कार न होने
के ताने कसते हैं।

भैंसे पर बैठे-बैठे
झटके बड़े रहे हैं
वायुमार्ग में भी
अब ट्रैफिक बढ़ रहे हैं।

रफ्तार की इस दुनिया
का मैं भैंसे से
कैसे करूँगा पीछा?
आप कुछ समझ रहे हो
या कुछ और दूँ शिक्षा।

और तो और,
देखोरम्भा के पास है
'टोयटा'
और उर्वशी को है
आपने 'एसेन्ट' दिया,
फिर मेरे साथ
ये अन्याय क्यों किया?
हे इन्द्रदेव!

मेरे इस दु:ख को
समझो और
चार पहिए की
जगह चार पैरों वाला
दिया है कहकर
अब मुझे न बहलाओ,
और जल्दी से
'मर्सिडीज़' मुझेदिलाओ,

वरना मेरा इस्तीफा
अपने साथ
ही लेकर जाओ,
और मौत का
ये काम
अब किसी और से
करवाओ।

अमित कुमार सिंह

11 comments:

Rajesh Kumar said...

बेहतरीन!
-राजेश कुमार

Udan Tashtari said...

अच्छा हुआ, यमराज ने उड़न तश्तरी नहीं माँगी वरना हम तो पैदल हो जाते.

--बढ़िया सोच है, अच्छी कविता. बधाई!!

Anonymous said...

क्या कल्पना की उड़ान है! वाह!

Anonymous said...

he he he

ePandit said...

हे हे बहुत खूब यमराज जी की मांग बिल्कुल जायज है। :)

Mohinder56 said...

वाह वाह मजा आ गया...वैसे यमराज छुट्टी पर ही रहे‍ तो ठीक नही रहेगा क्या...जब तक स्तीफ़ा स्वीकार नही होता.......

Reetesh Gupta said...

बहुत खूब ...अच्छा लिखे हो भाई

Anonymous said...

क्या खूब कल्पना है! बढ़िया

deepak said...

achchha huya yamrajne mobile nahi recieve kiya nahi to balance - ho jata.
very good
Amit ki Duniya

Mukesh Bunkar said...

very very good poem "amit bhai"
yesi aur poem ho to likana mere dear brother amith

Gopal said...

I AM GOPAL AMIT BHAI
APKI KAVITA MUJE BHUT ACCHI LAGI AGAR APKE PASS YESI AUR KAVITA HAI TO JARUR LIKANA.......